और आपका समय शुरू होता है अब ! चारा घोटाले में लालू पर सभी मामलों में चलेगा मुकदमा
नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने चारा घोटाला मामले में सोमवार को अपने फैसले में कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद और दो अन्य लोगों पर बाकी पांचों मामलों में भी मुकदमा चलेगा। लालू यादव चारा घोटाले के चाईबासा ट्रेजरी से संबंधित मामले में पहले ही दोषी साबित हो चुके हैं और उसके खिलाफ उनकी अपील शीर्ष न्यायालय में लंबित है।
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रांची उच्च न्यायालय ने लालू प्रसाद यादव, डॉ.जगन्नाथ मिश्रा तथा सजल चक्रवर्ती के मामले में अपने आदेश में कहा था कि चूंकि वे चारा घोटाले के एक ही मामले में दोषी साबित किया जा चुके हैं, इसलिए इसी तरह के अन्य मामलों में उन पर मुकदमा चलाने की जरूरत नहीं है।
लेकिन उच्च न्यायालय के उसी न्यायाधीश ने एक अन्य आरोपी आर.के.राणा के खिलाफ एक ही तरह के कई मामलों की सुनवाई में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।
रांची उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की सदस्यता वाली पीठ ने कहा कि सभी मामलों में सभी आरोपों को लेकर उन पर मुकदमा चलेगा।
शीर्ष न्यायालय ने इस बात पर हैरानी जताई कि एक ही न्यायाधीश एक मामले में समान तथ्य होने पर भी आर.के.राणा के मामले में अलग और लालू प्रसाद के लिए अलग फैसला कैसे सुना सकते हैं।
न्यायालय ने कहा कि राणा के मामले में आदेश 'ठोस आधार' पर पारित किया गया। पीठ ने साथ ही मुकदमे की कार्रवाई नौ महीने के भीतर पूरी करने का भी निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, "उच्च न्यायालय को ऐसे मामलों से निपटने के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए। संगतता न्यायालय की पहचान है, जिसके कारण लोगों का न्याय व्यवस्था पर विश्वास है और न्यायालय द्वारा एक ही मामले में समान तथ्यों के बावजूद अलग-अलग आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग फैसला देना सही नहीं है।"
न्यायालय ने कहा, "फैसला लेने में इस तरह की विसंगति से किसी भी कीमत पर बचना चाहिए, ताकि न्याय व्यवस्था पर लोगों का भरोसा कायम रहे।"
उच्च न्यायालय के आदेश को पूरी तरह अवैध, त्रुटिपूर्ण तथा कानून के आधारभूत सिद्धांत के विपरीत करार देते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा कि न्यायाधीश ने आरोपियों को अनुचित लाभ प्रदान के दौरान शीर्ष न्यायालय के कई फैसलों को नजरअंदाज किया और मामले में कई वर्षो का विलंब किया।
न्यायालय ने फैसले में कहा, "सुनवाई की अंतिम अवस्था को बाधित की गई, जो पूरी तरह अनुचित और अनावश्यक थी।" उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ देर से शीर्ष न्यायालय पहुंचने के लिए पीठ ने सीबीआई की खिंचाई भी की।
पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से देरी पर भी आपत्ति जताई और जांच एजेंसी के निदेशक को मामले की जांच करने तथा इसके लिए जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए।
फैसले के मुताबिक, "सीबीआई अपनी प्रतिष्ठा को बरकरार रखने में नाकाम रही। मामले में उसकी तरफ से अब ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।"
पीठ ने सीबीआई के निदेशक को मामले को देखने के लिए कहा और इसके लिए जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए।
न्यायालय ने कहा, "भविष्य में, सीबीआई के निदेशक इस तरह के मामलों में विलंब के लिए अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते, जिसे जानबूझकर कहा जा सकता है और यह बर्दाश्त करने योग्य नहीं है।"
उल्लेखनीय है कि सन् 1988 में चारा घोटाला शुरू हुआ था, जो सन् 1996 तक जारी रहा। चारा घोटाले से संबंधित कुल 64 मामले दायर किए गए हैं। 52 मामलों में सरकारी खजाने से भारी भरकम रकम की निकासी गई गई।